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बिहार में डायल-112 बन रहा जनता की भरोसेमंद सुरक्षा साथी, 12 मिनट में पहुंच रही मदद

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पटना।बिहार में इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम डायल-112 अब सिर्फ़ एक हेल्पलाइन नहीं रह गया है, बल्कि आम लोगों की सुरक्षा और भरोसे का एक मजबूत माध्यम बन गया है। रिस्पॉन्स टाइम के मामले में बिहार ने देशभर में दूसरा स्थान हासिल किया है। औसतन 12 मिनट में कॉल करने वाले तक पुलिस की टीम पहुंच जाती है, जो बड़े और घनी आबादी वाले राज्य के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।
पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में डायल-112 के जरिए करीब 50 लाख लोगों को त्वरित सहायता प्रदान की जा चुकी है। यह सेवा न केवल शहरों में बल्कि दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में भी प्रभावी ढंग से काम कर रही है। डीजीपी विनय कुमार ने बताया कि देश में रिस्पॉन्स टाइम के मामले में चंडीगढ़ पहले और बिहार दूसरे स्थान पर है। किसी भी इमरजेंसी कॉल के मिलते ही कंट्रोल रूम सबसे नजदीकी वाहन को तुरंत अलर्ट कर देता है।
बिहार में फिलहाल 1,833 डायल-112 वाहन तैनात हैं, जो जीपीएस से लैस हैं। कंट्रोल रूम से इन वाहनों की लाइव मॉनिटरिंग होती है। कॉल मिलने पर सबसे नजदीकी वाहन तुरंत घटनास्थल पर भेजा जाता है, जिससे ग्रामीण इलाकों में पुलिस की पहुंच पहले से कहीं तेज़ हो गई है।
महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष से डायल-112 में विशेष सुविधा भी शुरू की गई है। इन समूहों से जुड़ी किसी भी आपात स्थिति में 112 पर मुफ्त कॉल की जा सकती है, और महिला कॉलर्स को प्राथमिकता के आधार पर सहायता दी जाती है।
डायल-112 एक राष्ट्रीय इमरजेंसी नंबर है, जिस पर अपराध, दुर्घटना या अन्य किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कॉल किया जा सकता है। कॉल मिलने पर पुलिस टीम को अलर्ट किया जाता है और लगभग 15 मिनट के भीतर मदद पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, नए आपराधिक कानूनों के तहत जांच और चार्जशीट दाखिल करने की प्रक्रिया भी तेज की जा रही है। ई-समन जैसी डिजिटल पहलों से पुलिस और अदालतों के बीच समन्वय बेहतर हुआ है।
सुरक्षा व्यवस्था और बल बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर बहाली अभियान जारी है। इस साल जून तक 21,391 सिपाहियों की बहाली पूरी हो चुकी है, जबकि 19,838 सिपाहियों की बहाली प्रक्रिया अभी जारी है। इसके अलावा 4,361 चालक सिपाहियों की नियुक्ति पूरी की जा चुकी है। जनवरी 2026 में 1,799 दारोगा पदों की लिखित परीक्षा प्रस्तावित है।
बिहार में डायल-112 ने स्पष्ट कर दिया है कि आधुनिक तकनीक, प्रशिक्षण और त्वरित कार्रवाई से सुरक्षा व्यवस्था को जनता के भरोसे का पर्याय बनाया जा सकता है।

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